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Earthquake in Japan

भूकंप से फिर कांपी धरती, जापान में भूकंप के तेज झटके 


भूकंप के तेज झटके से हिली जापान की धरती, रिक्टर स्केल पर 6.3 मांपी गई तीव्रता !

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जापान में पिछले 3 दिन में तीसरी बार आज भूकंप आया है। 26 दिसंबर की दोपहर 12 बजे जापान के इज़ू आइलैंड्स (Izu Islands) में भूकंप आया था। अगले दिन 27 दिसंबर को जापान के ही होक्काइडो क्षेत्र में भूकप के झटके लगे थे। आज 28 दिसंबर को कुरिल द्वीप में भूकंप के झटके लगे हैं।

जापान में गुरुवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक जापान के कुरील द्वीप समूह में रिक्टर स्केल पर 6.3 तीव्रता मांपी गई। भूकंप में किसी के हताहत होने की फिलहाल पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि भूकंप आने से लोगों में दहशत का माहौल है और लोग अपने घरों और ऑफिसों से बाहर निकल गए हैं।

 करीब 6.3 तीव्रता का भूकंप आया है जिससे लोगों में अफरा तफरी मच गई। भूकंप ने जापान के कुरिल द्वीप को हिट किया है। अचानक धरती हिली और लोगों में भगदड़ मच गई। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि अभी इस भूकंप से जान माल के नुकसान की खबर नहीं है लेकिन लोग दहशत में हैं।

भूकंप क्यों और कैसे आता है?  

भूकंप जब भूमि की तंत्रिका चंद्रकोण में स्थिति में बदलती है तो उत्पन्न होता है। यह तंत्रिका चंद्रकोण जगह के तत्वों के बीच गतिशीलता के कारण आती है, जिससे भूमि के भीतर दबाव में बदलाव होता है। जब यह दबाव अधिक होता है और तंत्रिका चंद्रकोण तोड़ देता है, तो भूकंप होता है।

भूकंप का कारण विभिन्न हो सकता है, जैसे तंत्रिका चंद्रकोण की दृढ़ता में परिवर्तन, तटस्थ क्षेत्रों में तटस्थ स्थिति के बदलाव, या तंत्रिका चंद्रकोण में तंतु-भूमि संबंध के कारण भी हो सकता है।

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता? 

भूकंप की तीव्रता को सीस्मोग्राफ द्वारा मापा जाता है। सीस्मोग्राफ एक यंत्र होता है जो भूकंप के समय भूमि के उच्चारित हलचल को रिकॉर्ड करता है। यह उपकरण तीव्रता, स्थान, और समय के साथ भूकंप की जानकारी प्रदान करता है।

तीव्रता का माप रिकॉर्ड किए गए विभिन्न समय स्थलों पर होता है और इसे सीस्मोग्राफिक स्केल पर दर्शाया जाता है। यह स्केल आमतौर पर लॉगारिद्मिक होती है, जिससे तीव्रता के विभिन्न स्तरों को अभिव्यक्त करना सरल होता है।

इस तरह, सीस्मोग्राफ भूकंप की तीव्रता का मापन करने में मदद करता है और इसे वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोगी बनाता है।

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